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क्रिसमस

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Christmas  is the perfect time of the year to celebrate  family , joy, and coming together. The gifts are already wrapped, Christmas  tree is decorated and  It’s a time to be merry and indulge in plenty of food and drink to keep cozy during the cold winter. But whether you’re planning on spending the holidays together or apart, you’ll likely want to know about Christmas. Although we, Year 5 students, believe that every single one of you is aware of the origin of Christmas, for those who might have forgotten here is a refresher course on the event from which Christmas began. Merry Christmas to all of you! We hope we will receive blessing after another this coming year .  

कोणार्क सूर्य मंदिर

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अतुल्य भारत जिसे युगों से देवों का देश कहा जाता है। 13वीं शताब्दी (1238-1264 ई)  में कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण उड़ीसा के  गंगा वंश राजा नरसिंहदेव ने करवाया था। यह मंदिर उड़ीसा में जगन्नाथ पुरी से 35 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में कोणार्क शहर में स्थित है। कोणार्क नाम संस्कृत के दो शब्दों से बना है: कोण, जिसका अर्थ है कोना और अर्क, जिसका अर्थ सूर्य है। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इस शहर का नाम कोणार्क पड़ा ,अर्थात सूर्योदय का स्थान । पौराणिक कथाओं के अनुसार  भगवान कृष्ण के बारह वर्षों से लकवाग्रस्त पुत्र संबा ने चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में, बारह वर्षों तक तपस्या की और सूर्य देव ने उनके रोगों का निवारण  किया था । तपश्चात उन्होंने सूर्य देव को समर्पित करते हुए इस मंदिर का निर्माण किया । कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी अलौलिक पाषाण मूर्तियों और श्रेष्ठ स्थापत्य कला इसका उत्कृष्ट सबूत है। पुरातत्वों के लिए भी लाल रंग के बलुआ पत्थरों और काले ग्रेनाइट के पत्थरों से बने इस मंदिर का निर्माण अब तक एक रहस्य ही है। इस मंदिर को मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा उदाहरण माना गया है। इसे वर्ष 1984 मे