Initially, we got our source from an IGCSE reading comprehension paper and decided to re-write the text in our own words. Hopefully, this might change your mindset about disabled people.
By: Ananya, Devanshi, and Onpriya Y8
प्रकृति का खेल कितना अनोखा है, ईश्वर हमें अचानक उन लोगों से मिलाता
है, जिन्हें देख कर हमें स्वयं अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगती है । कुछ लोग जन्मजात विकलांग होते हैं, कुछ किसी दुखद घटनाओं के कारण विकलांग हो जाते है । पर वे जीवन
में हार नहीं मानते और खुद के लिए दुनिया में जगह बना लेते है।
मिर्ज़ापुर के डबई गांव में रहने वाली सोनू जिसे बचपन से ही निरादर दृष्टि से देखा जाता था । उसके होंठ और उसके तालू जन्म से ही कटे हुए थे Iउसके करीबी और गांव के लोग उसे समाज पर बोझ समझते थे,पर उसने इन कठिन क्षणों में ईश्वर को कभी दोषी नहीं ठहराया और नतमस्तक हर मुश्किल का सामना हँसकर किया।
जन्म
से कटे होंठ और तालू का इलाज तमाम गरीब तबके के बच्चे आर्थिक तंगी की वजह से नहीं करा पाते हैं।सोनू के डॉक्टर अशोक सिंह का कहना है कि सोनू बहुत खुशकिस्मत हैं, वह 2005 में गैर सरकारी संस्था 'सोशली ट्रेन' से
जुड़ी जिन्होंने सोनू का निशुल्क इलाज करवाया और उसे नया जीवन दिया। 'सोशली
ट्रेन' की मुहिम की लोगों ने खूब सराहना की और कहा कि इस मुहिम से
सबसे ज्यादा लाभ उन लोगों को मिलेगा जो रुपये की कमी की वजह से अपने मासूमों का इलाज
नहीं करा पाते थे ।
जहाँ
पहले गाँववाले उसे भाग्यहीन समझते थे, पर धीरे-धीरे उनकी सोच में बदलाव आने लगा और
उसे किस्मत की धनी कहने लगे। सोनू 2007 में 'सोशली ट्रेन' का प्रतिनिधित्व करने के लिए लंदन भी गई थी
।
नियति के कठोर आधात का सामना उसने हमेशा धैर्य और साहस से किया, 2009
उस पर बनी 'सोनू की मुस्कुराहट’
लधु चलचित्र को ऑस्कर अवार्ड भी मिला। 13
वर्ष की आयु में वह पुरस्कार लेने के लिए अमेरिका गई थी।
सोनू
धीरे-धीरे खेल की दुनिया से जुड़ने लगी । विंबलडन टेनिस टूर्नामेंट में उसे सिक्का
उछालने का काम दिया गया जिसे उसने बखूबी निभाया । टूर्नामेंट से पहले उसने मैनचेस्टर
में 'फेस मी' चॉकलेट फैक्टरी का उद्घाटन किया था ।
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