ताज महल


ताज महल को असीम प्रेम का प्रतीक कहा गया है मुगल शिल्पकार उस्ताद अहमद लाहौरी के अधीन 22000 कारीगरों ने 20 साल की कड़ी मेहनत के बाद इस स्मारक को तैयार किया गया। माना गया है कि इसके निर्माण में 320 लाख रूपए की लागत आई  थी। मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी तीसरी बेगम मुमताज की याद में इस मकबरे को बनवाया था। मकबरे के बीचों-बीच बेगम मुमताज की कब्र बनवाई गई है। यह भी माना जाता है कि शाहजहाँ स्वंय के लिए ऐसी ही काले रंग की कब्र का निर्माण कराना चाहता था परंतु उनके बेटे औरगंजेब ने उन्हें आगरे के किले में बंदी बना लिया था  उनकी मृत्यु के बाद उन्हें ताजमहल में ही  मुमताज के बराबर में दफन कर दिया गया।



ताज महल का निर्माण 1632 में शुरू हुआ था और 1653 तक चला था। कहते है कि शाहजहाँ ने ताज महल के निर्माण के बाद कुशल शिल्पकारियों के हाथ कटवा दिया थे जिससे दुबारा ऐसी खूबसूरत इमारत कोई बना ना पाये,लेकिन इस बात कोई सबूत नहीं है।


  

भारत ही नहीं पूरे विश्व में सफेद संगमरमर से बना ताजमहल अद्वितीय, अविश्वसनीय और अकल्पनीय स्मारकों में से एक है। यदि ताजमहल को ध्यान से देखें तो पता चलता है कि ताज भारतीय, पर्शियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिसकी गणना दुनिया के सात अजूबों में की जाती है और इसकी अलौलिक सुंदरता से प्रभावित होकर इसको 1983 में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया गया था

ताजमहल उत्तर प्रदेश में, आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे पर स्थित है। ताजमहल के परिसर को सजावटी घास और पेड़ों के द्वारा और भी अधिक सुंदर बनाया गया है।  ताजमहल के चारों कोनों पर चार आकर्षक मीनारें हैं। उन्हें बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया है और वे थोड़ी सी बाहर की ओर झुकी हुई हैं ताकि, भविष्य में किसी भी प्राकृतिक आपदा में वे ताजमहल की इमारत को सुरक्षित कर सकें।

ताजमहल की इमारत के सामने कुछ आकर्षक पानी के फव्वारे बनाए गए हैं। चाँदनी रात में ताजमहल की परछाई जब यमुना के पानी पर पड़ती है तो इसकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते है।हालाँकि बढ़ते प्रदूषण की वजह बढ़ते और अत्यधिक अम्ल वर्षा के कारण इस प्रेम की स्मारक पर खतरा मंडरा है।अगर  समय के रहते हुए हम बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित कर पाये तो हम अपनी ऐतिहासिक धरोहर को आने वाले समय में संरक्षित कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

 







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