भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अतुल्य उदाहरण

 

पक्षियों का राजा और सबसे सुंदर पक्षी मोर, जिसको  संस्कृत में 'मयूर' भी कहते है। यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। जिसे भारत सरकार ने 26 जनवरी,1963 को राष्ट्रीय पक्षी भी घोषित किया गया ।   भारत सरकार ने 1972 से इसके शिकार पर रोक लगा दी अब अगर कोई शिकार करता है तो उसको कठोर सजा दी  जाएगी ।

मोर  ज्यादातर भारत, श्रीलंका और बर्मा में पाए जाते हैं।  यह म्यांमार का भी राष्ट्रीय पक्षी है। मोरों की तीन प्रमुख प्रजातियाँ हैं, जिनमें से दो एशियाई मूल की है,नीला भारतीय मोर (Blue Indian peacock) और हरा मोर (Green peacock) एशियन प्रजाति है । कांगो मोर (African Congo Peacock) अफ्रीकी प्रजाति के है ।

मोर का शरीर नीले रंग को होता है। मोर के पंख रंग बिरंगे होते हैं। मोर की पूँछ लम्बी, मोटी और भारी होती है और गर्दन सुराही की तरह पतली और लंबी होती है। मोर के सिर पर सुंदर कलगी होती है। । मोर की आँखों के ऊपर और नीचे सफेद रंग के धब्बे होते हैं । कहते हैं कि मोर का वजन 5 से 10 किलो तक होता है। मोर मुख्यतः जमीन पर रहने वाले पक्षी हैं. मोर वजन ज्यादा होने के कारण ये ज्यादा उड़ नहीं पाते। इसके पंखों की लंबाई करीब 1 मीटर से भी ज्यादा होती है और  जंगल में पाए जाने वाले मोरों की उम्र लगभग 20 -25 वर्ष तक मानी गई है और चिड़ियाघर में रहने वाले मोरों का जीवन काल लगभग 40-50 वर्ष तक का होता है । 

 मोर खेतों, जंगलों और गर्म क्षेत्रों में निवास करना पसंद करते हैं । यह कम ऊँचाई के पेड़ों पर रहना पसंद करता है। मोर सर्वाहारी (omnivores) होते हैं. ये मुख्य रूप से अनाज, घास, फल-पत्ते, बीज, फूलों की पंखुड़ियाँ, चीटियाँ, कीड़े, दीमक, टिड्डियों, चूहे,  छिपकली, साँप आदि खाते हैं ।इसे किसानों का सच्चा मित्र भी कहा जाता है। मोर की वजह से उनकी फ़सलें हानिकारक कीड़ों से बच जाती है।

जब बारिश होती है तो मोर खुशी से नाचने लगते हैं। मोर के  सुनने की क्षमता बहुत अधिक होती है एक छोटी सी भी आहट हो बहुत दूरी से सुन सकता है ।मोर की बोली को केकारव कहते हैI

हिंदू धर्म में मोर का विशेष महत्त्व है, भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट पर मोर पंख सजा होता है । भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का वाहन मोर है । प्राचीन काल में मोर पंख का इस्तेमाल लेखनी के रूप में भी किया जाता है, इसे स्याही में डुबाकर लेखन किया जाता है ।

मोर की तुलना में मोरनी आकार में छोटी और सुस्त होती हैं। मोरनी के पंख नहीं होते हैं।  मोर पर बड़ी कलगी और मोरनी पर छोटी कलगी होती हैं जिससे इन्हें पहचानने में आसनी होती है।

YEAR 5 (A/B)

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