ईद-उल-फितर (मीठी ईद)

On Saturday, April 22, the world was celebrating the festival of Eid with family and friends. The Pioneers' Vision was finding facts and the reasons for how, when, and why people celebrate Eid. They discussed it with their Muslim friends, gathered all the information, and shared it with us. Thanks to students of year 6 and  5 for sharing the  lovely movement with us.




ईद-उल-फितर कब मनाई जाती है?

 ईद मुस्लिम धर्म के लोगों का सबसे प्रमुख पर्व है, लेकिन सभी धर्म के लोग इस त्योहार को खुशी से मनाते हैं । ईद के दिन अल्लाह से अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए दुआ भी करते हैं।

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक ईद-उल-फितर’  रमज़ान महीने (नवें) के अंतिम दिन चांद को देखकर शव्वाल महीने के पहले दिन मनाई जाती है। रमजान का महीना इबादत का महीना होता है। रमज़ान के महीने में लोग 30 दिनों तक रोजें रखते हैं।

लोग गरीब और जरूरतमंदों के लिए कुछ रकम दान देते हैं,इसके पीछे मान्यता है कि इस पाक महीने में दान देने से उसका दोगुना फल मिलता है ।


ईद-उल-अज़हा कब मनाई जाती है?

बताया गया है कि कुरान में दो पवित्र दिनों को ईद के लिए निर्धारित किया था। इसी वजह से साल में दो बार ईद मनाने की परंपरा है। पहली ईद-उल-फितर (मीठी ईद) और दूसरी ईद हज़रत इब्राहिम और हज़रत इस्माइल द्वारा दिए गए महान बलिदानों की याद में यानी कि ईद-उल-अज़हा’( बकरीद) के रूप में मनाई जाती है। ये कुर्बानी का दिन है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है।

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिकईद उल अजहा का पर्व रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद ईद उल अजहा आता हैं।

ईद क्यों मनाई जाती है?

कहा जाता है कि ईद की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद ने सन् 624 ईस्वी में जंग-ए- बद्र के बाद की थी। इस दिन पैगंबर हजरत मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में विजय हासिल की थी। इसीलिए उनकी जीत की खुशी में ईद के त्योहार की शुरुआत हुई।

ईद कैसे मनाई जाती है?

ईद-उल-फितर में मीठी सेंवईं बनती हैं। लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं। बड़े - बुजुर्ग अपने छोटों को ईदी (उपहार) देते हैं । घर आए मेहमानों की विदाई कुछ उपहार देकर की जाती है। ईद उल फितर के दिन लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगते हैं। इस्लामिक धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है । यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। 


YEAR 5 & 6 (International Pioneers School, Bangkok)


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