भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह का इतिहास

 देश का राष्ट्रीय चिन्ह ही उसकी संस्कृति और उसके अस्तित्व को दर्शाता है। वैसे तो हम सब अपने राष्ट्रीय चिन्ह से भालि-भाँती परिचित है लेकिन क्या  राष्ट्रीय चिन्ह (अशोक स्तंभ) के पीछे का इतिहास हमें पता है?  

सन् 2022 जुलाई में नवनिर्मित संसद  की छत पर 20 फीट अशोक स्तंभ का अनावरण  किया गया इसके बाद हमारे मन में अशोक स्तंभ को लेकर  कई सवाल उठने लगे।

संवैधानिक रूप से भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1950 को राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर अशोक स्तंभ को अपनाया था क्योंकि इसे शासन,संस्कृति और शांति का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है। 
सम्राट अशोक बहुत क्रूर और निर्दयी शासक थे। यह भी बताया जाता है कि वर्तमान के पूर्व असम से ईरान तक उनका राज्य फैला हुआ था।

सच है कि अंहकार और शोहरात इंसान में लालच बढ़ा देता है, इतना बड़ा साम्राज्य होने के बावजूद भी उनकी नजर कलिंग पर थी। वह उसे भी अपने साम्राज्य में मिलना चाहते थे। पर कलिंग युद्ध मे हुए नरसंहार से सम्राट को इतना आघात लगा की उन्होंने  हिंसा का मार्ग त्याग कर अहिंसा का रास्ता चुना और गौतम बुद्ध की शरण में चले गए।


सम्राट अशोक जहाँ भी बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे, उन्होंने धर्म के सिद्धांतों पर अमल करने के  तौर पर कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया। इनमें से एक स्तंभ वाराणासी के सारनाथ में स्थित है।  सारनाथ का स्तंभ अशोक स्तंभ के नाम से जाना गया। यहाँ उन्होंने  स्तंभ के शीर्ष पर चारों दिशाओं में गर्जना करते चार शेरों की आकृति वाले स्तंभ का निर्माण करवाया शेरों को शामिल करने के पीछे ये प्रमाण मिलता है कि भगवान बुद्ध को सिंह का पर्याय माना गया है और बुद्ध के सौ नामों में से शाक्य सिंह, नर सिंह नाम का उल्लेख मिलता है इतिहासकारों का कहना है कि सारनाथ में दिये गये भगवान बुद्ध के धर्म उपदेश को सिंह गर्जना भी कहा गया है इसलिए बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए  शेरों की आकृति को महत्त्व दिया गया है। इन्हें सिंह चतुर्मुख कह कर बुलाया जाता है।

इसी सिंह चतुर्मुख की आकृति के आधार पर अशोक चक्र बनाया गया है जो कि हमें राष्ट्रीय ध्वज के बीच में दिखाई पड़ता है।अशोका स्तंभ के नीचे एक सांड और घोड़े की आकृति भी दिखाई देती है, इन्हीं दोनों आकृतियों केबीच अशोक चक्र स्थित है 


इन सब के अलावा अशोक स्तंभ पर सत्यमेव जयते लिखा गया है जो कि मुंडक उपनिषद से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “सत्य की सदा विजय होती है।


अनन्या गुर्जर Y10


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