कहता है इतिहास का झरोखा


कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

दीपों का त्यौहार  भारतीय संस्कृति की है पहचान,
दीयों की रोशनी, सौगात है कार्तिक माह की,
दीपावली……. कहते है हम  आध्यात्मिक रूप से 'अंधकार पर प्रकाश की विजय'
 
कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

रघुकुल की रखी लाज श्री राम ने,
भाई लक्ष्मण ने समस्त आमोदों का त्याग कर अपनाया सेवाभाव को,
शुरुआत हो गई घोर कलयुग की, जिसमे भरा है अंधकार ,झूठ ,फरेब,
जिसमें भाई ही बना भाई का दुश्मन …….
 
कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

जनक दशरथ को दिया प्रण, माँ कैकेयी को दिया भरोसा श्री राम ने,
छोड़ अयोध्या को निकल पड़े वन की ओर श्री राम,
पर तू और मैं तो अपने स्वार्थ में माँ - बाप को भेज रहे वृद्धाश्रम में……
 
कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

सर्वज्ञानी रावण ने अहंकार में आकर किया सीता मैया का हरण,
पर किया मर्यादा में रह कर, अपनी छाया तक उस पर नही पड़ने दी,
पर इस कलयुग में, इंसान के भेष में ले रहा जन्म जानवर,
बढ़ रहा है अधर्म,
अपरहण, बलात्कर  फिर  बर्बरता से हत्या,   मिलती है उनकी लाशें ,
डरता है आज एक पिता, सोचता है क्यों लाया बिटिया को इस निर्दयी दुनिया में,


कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

सम्मूर्ण ब्रह्माण्ड पर मंडरा रहा खतरा पटाखों के धुएं का,
बढ़ रहे धरती माँ के जख्म, बढ़ रहा है तापमान,
पिघल रहा ग्लेशियर, साँस लेना हो रहा दुर्भर,
मत कर अपनी मनमानी समझ दीपावली के मायने,
ओ!! नादान इन्सान…..अतुल्य देन है  प्रकृति हमारी……...
 
कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

बदला स्वरूप त्योहारों का, जलाते थे मिट्टी के दीप घी- तेल भरकर,
पर आज ले ली जगह मिट्टी के दीयों की…. मोमबत्तियाँ - बिजली की रंग-बिरंगी लड़ियों ने.
कोरोना कितना निर्मम असुर बन कर आया, लाया विपदाएँ धरातल पर,
संकट गहराया सकल विश्व में,
त्योहार भी मनाने लगे zoom.... Google meet.... पर
शुभकामनाओं के नाम पर भद्दा मजाक सोशल मीडिया पर…
वाह!!! क्या कहना….. बदला ज़माना, बदले मायने त्योहारों के…….
 
कहता है इतिहास का झरोखा….. त्योहारों का देश है भारत

दीपावली लाती सौगात खुशियों की ,
निर्मल करो  मन मंदिर को, स्वार्थ ….मोह बंधन सब को तोड़ो,
अज्ञानता - घृणा-द्वेष को मिलकर दूर भगाओ.
सद्भाव से महकाओं अपनी बागिया, खुशियों के दीप जलाओ....
दीपावली आई, लाई सुख और समृध्दि की बहार,
यही कहता है इतिहास का झरोखा….





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