'बाबा मेरे बाबा'



पंद्रह मई का दिन था, मेरी ऑनलाइन कक्षा चल रही थी । अचानक मुझे महसूस हुआ कि माँ किसी से फोन पर बात कर रही थी, वह बहुत परेशान लग रही थी। मैने उनसे जाकर पूछा तो उन्होंने कुछ नही बताया। कुछ देर तक मैं भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गई, पर ना जाने क्यों मेरा दिल घबराने लगा। आज पापा  जल्दी आ  गए, क्यों? मैं तुरंत वापिस बाहर गई तब पता चला कि मेरे 'बाबा' नहीं रहे है। मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।


'बाबा मेरे बाबा'  जिनकी आवाज मे मधुरता और बातो में धैर्यता झलकती थी।उनकी प्यारी- सी मुस्कान सबके मन को लुभाती थी। उन्होंने अपने जीवन मे आई सभी चुनौतियों का सामना डटकर किया, कभी हार न मानी । मेरे बाबा हमेशा मुझे सिखाते थे कि हमें धैर्य रखना चाहिये । हमें  दूसरो का सम्मान करना चाहिये। उनकी एक-एक बात मुझे उनकी याद दिलाती है I  उन्होंने हमेशा मुझे सही राह दिखाई। मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ कि मेरे बाबा दुनिया के सबसे अच्छे व्यक्ति है। 

मैं हमेशा सोचती थी कि मै जब बड़ी हो जाऊँगी तब  बाबा  के साथ वर्ल्ड टूर पर जाऊँगी, पर बाबा तो मुझे छोड़ कर चले गए। मुझे याद है जब मैने पहली बार उन्हें हिंदी में पत्र लिखकर भेजा तो उन्हें मुझ पर गर्व हुआ था।


क्यों चले गए बाबा आप ? 


कोरेना महामारी के कारण मेरे बाबा नही बच पाये।  बाबा ने तो बड़ी से बड़ी बीमारी का सामना किया लेकिन वह कोरेना से जीत न पाए। उसने मेरे बाबा को मुझसे छीन लिया । हम अपने प्यारे बाबा को आखिरी वक्त भी नहीं देख पाए । बाबा मेरे बाबा' आप तो मेरे दिल में है।


सनवी खन्ना कक्षा- 6


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