राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार
राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार भारत में हर वर्ष 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहादुर बच्चों को दिए जाते हैं। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने 1957 में ये पुरस्कार शुरु किये थे। पुरस्कार के रूप में एक पदक, प्रमाण पत्र और नकद राशि दी जाती है। सभी बच्चों को विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने तक वित्तीय सहायता भी दी जाती है। 26 जनवरी के दिन ये बहादुर बच्चे हाथी पर सवारी करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में सम्मिलित होते हैं।
राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार में पांच श्रेणियां शामिल हैं:
- भारत पुरस्कार 1987 से
- संजय चोपड़ा पुरस्कार 1978 से
- गीता चोपड़ा पुरस्कार 1978 से
- बापू गायधनी पुरस्कार 1988 के बाद से
- सामान्य राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार 1957 से
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया है। इन पुरस्कार विजेताओं में से किसी ने जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगाई, तो कोई खेल, कला और अन्य क्षेत्र का धुरंधर है।
2023 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं से मिलिए
'कला और संस्कृति ' में केरल के आदित्य सुरेश को इस पुरस्कार से नवाजा गया उन्हें जन्म से बोन डिसऑर्डर डायग्नोज हुआ था। पर इसके बावजूद वह एक सफल गायक बने, उन्होंने दिखा दिया कोशिश करने वालों की हार नहीं होती है।वह अब तक टीवी चैनलों से लेकर 500 से ज्यादा इवेंट्स में परफॉर्म कर चुके हैं।
2. संभव मिश्रा
ओडिशा के संभव मिश्रा को 'कला और संस्कृति ' क्षेत्र में पुरस्कार से नवाजा गया । आपको लंदन की रॉयल एशियाटिक सोसायटी से फेलोशिप भी मिली । उन्हें सोसाइटी के 200 साल के इतिहास में सबसे कम उम्र के सदस्य बनने का सौभाग्य मिला ।भारत सरकार के डाक विभाग ने उन्हें दीन दयाल स्पर्श योजना छात्रवृत्ति दी और माननीय केंटकी कर्नल उपाधि से सम्मानित किया । उनके द्वारा डिजाइन किए गए पैच को एक आधिकारिक लोगो के रूप में प्रयोग किया जा रहा है ।
3. एम. गौरवी रेड्डी
तेलंगाना की एम. गौरवी रेड्डी को कला और संस्कृति में उनकी उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2023 से सम्मानित किया गया । जिन्होंने कुशल नृत्यांगना के रूप में कई मंचों पर शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन किया ।17 वर्षीय गौरवी साल 2016 में अंतरराष्ट्रीय नृत्य परिषद (यूनिसेफ ग्रीस) में नामांकित होने वाली सबसे कम उम्र (12 साल) की बालिका थी ।
4.श्रेया भट्टाचार्यजी
असम की 12 वर्षीय़ श्रेया भट्टाचार्य 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में नाम दर्ज कराने वालीं तबलावादक हैं । उन्होंने इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में सबसे लंबे समय तक तबला बचाने का रिकॉर्ड बनाया ।इसके अलावा कई राष्ट्रीय स्तर आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान पाया और 9वें सांस्कृतिक ऑलंपियाड में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता ।
5. आदित्य प्रताप सिंह चौहान (नवीनीकरण)
छत्तीसगढ़ के 17 वर्षीय आदित्य प्रताप सिंह चौहान कहते है कि प्लास्टिक पर्यावरण और सेहत के लिए सबसे खतरनाक है । उन्होंने पीने के पानी में सूक्ष्म प्लास्टिक का पता लगाने के लिए 'माइक्रोपा' नाम एक अनूठी तकनीक विकसित की । यह तकनीक पानी को फिल्टर करने का भी काम करती है । 'माइक्रोपा' माइक्रो-प्लास्टिक के लिए समाधन बनने के लिए बड़ा बदलाव ला सकता है ।
6.ऋषि शिव प्रसन्ना
छोटी उम्र में ही कर्नाटक के ऋषि शिव प्रसन्ना ने गजब काम किया है। उन्हें इनोवेशन कैटिगरी में पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। प्रसन्ना का IQ 180 है और वह सबसे युवा सर्टिफाइड एंड्रॉयड एप्लिकेशन डिवेलपर हैं। प्रसन्ना एक यूट्यूबर भी हैं और 'एलिमेंट्स ऑफ अर्थ' के नाम से किताब लिख चुके हैं।
7. अनुष्का जॉली (समाज सेवा)
दिल्ली की अनुष्का जॉली को समाज सेवा के क्षेत्र में पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिला है। उन्होंने 'एंटी बुलींग स्क्वाड कवच' नाम का एक ऐप(app) बनाया है , जो कि पिछले चार साल से वह बुलींग का शिकार हुए बच्चों को मानसिक तौर पर परामर्श देने में मददगार साबित हुआ है।
8. हनाया निसार, कोलगतला अलाना मीनाक्षी,शौर्यजीत रंजीत कुमार खैरे (खेल-कूद)
खेल-कूदों की श्रेणी में तीन बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जम्मू और कश्मीर कीहनाया निसार को मार्शल आर्ट्स के लिए, आंध्र प्रदेश से रिश्ता रखने वाली कोलगतला अलाना मीनाक्षी को शतरंज के लिए और 10 साल के गुजरात की मिट्टी से जुड़े शौर्यजीत रंजीत कुमार खैरे को मलखम्भ में असाधारण उपलब्धि का इनाम मिला।
15 साल के रोहन रामचंद्र बहिर की बहादुरी को राष्ट्रपति मुर्मू से सम्मान मिला। महाराष्ट्र के रहने वाले रोहन डोमरी नदी में डूब रही महिला को बचाने के लिए जान पर खेल गया। महिला नदी पर कपड़े धो रही थी अचानक पैर फिसल जाने से नदी में बहने लगी। रोहन ने तुरंत अपनी जान की परवाह किए बिना छलांग लगा दी और उसे बचाया । यही नहीं, उसने पुरस्कार के रूप में मिली नकद राशि को गांव के गणपति विसर्जन में दान में दी।
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